: एक दिन एक लड़की ने अपने पिता से पूछा, “पापा! क्या आप कभी मेरी वजह से वो रोये हैं?” उसके ऐसा पूछने का कारण ये था कि उसने कभी भी अपने पिता को रोते हुए नहीं देखा था. इस सवाल के जवाब में पिता ने कहा, “हाँ, एक बार ऐसा कुछ हुआ था, जब तुम्हारी वज़ह से मैं रोया था.” यह सुनकर लड़की उस बात को जानने के लिए उत्सुक हो गई कि आखिर वह क्या बात थी, जिसने उसके पिता को रुला दिया था. इस उत्सुकतता को शांत करने के लिए पिता वह किस्सा सुनाने लगा – “बात उस समय है, जब तुम ८ माह की थी. एक दिन मैंने तुम्हारे सामने तीन चीज़ें रखी – एक पेन, एक सिक्का और एक खिलौना. मैं ये जानना चाहता था कि तुम उन चीजों में से क्या उठाओगी. उनमें पेन बुद्धिमत्ता का प्रतीक था, सिक्का धन का और खिलौना मनोरंजन का प्रतीक था. मैं ये सब बस एक जियासा के कारण कर रहा था. मेरे लिए ये जानना बहुत रोचक था कि मेरी बेटी के लिए आगे जाकर क्या सबसे अधिक मायने रखेगा? मैं तुम्हारे सामने बैठकर बेसब्री से तुम्हारे अगले कदम का इंतजार कर रहा था. मैंने देखा कि कुछ देर बैठकर तुम उन चीज़ों को देखती रही. फिर घुटने के बल पर चलते ह
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army love story hindi
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एक बहादुर सिपाही की अधूरी प्रेम कहानी जो आप को रुला ही देगी एक अंधे पति और पत्नी की प्रेम कहानी https://www.facebook.com/groups/ https://www.facebook.com/groups/ पब्लिक ग्रु पब्लिक ग्रु राजेश अपनी ट्रेनिंग के लिए नीकल गया और वहा जाकर बहुत ही बिजी हो गया , क्युकी हम लोगो को भी यह पता हे की फौज की ट्रेनिंग बहुत ही कठिन होती है | सुमन हमेशा राजेश के फ़ोन का इंतज़ार करती थी , लेकिन राजेश ने फ़ोन नहीं किया | राजेश की ट्रेनिंग खतम हो गयी और वह बहुत ही खुश था की अब वह सुमन को जाकर बहुत ही बड़ा सरप्राइज देगा | लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था | जिस दिन राजेश की ट्रेनिंग खत्म हुयी उसके कुछ दिन पहले ही कुछ आतंकी हमला हो गया था , इसके बाद सभी ट्रेन फौजी को बॉर्डर पर भेज दिया गया | जिसमे राजेश का भी नाम था , पहले तो राजेश थोरा निराश हो गया लेकिन जब उसको अपना सपना याद आया तो वह बहुत ही खुश हुवा की जो वह बड़ा होकर करना चाहता था , आज वो दिन आ गया है और हम भारत माता की सेवा करेंगे | बॉर्डर पर लडाई सुरु थी और राजेश वहा पहुच गया और जाते ही कुछ दुश्मनो को मार गिराया | राजेश लडाई कर रहा थ
सुनो, मैं भारत माता बोल रही हूं
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सुनो, मैं भारत माता बोल रही हूं तरुणा जोशी मैं माता हूं, अपने बेटों की खुशहाली चाहती हूं। मेरी हैरानी-परेशानी का सबब आज का बदलता परिवेश है। मैं जानती हूं समय के साथ सब बदलता है और यही प्रकृति का नियम है। लेकिन यह बदलाव मेरे पुत्रों को पतन के रास्ते पर ले जाते दिखे तो दिल में पीड़ा होती है। कभी मैं गुलामी की जंजीरों में जकड़ी थी। मेरे सपूतों ने अपनी जान की बाजी लगाकर मुझे उन कठोर जंजीरों से मुक्त किया। उस समय मैं खुलकर हंसी थी, चहकी थी, मेरी उन्मुक्त खिलखिलाहट चारों ओर फैल गई थी। मेरी आंखों में सुनहरे भविष्य के सतरंगी सपने तैरने लगे कि अब फिर से स्थितियां बदलेंगी। अब मेरा कोई बेटा भूखा और बेसहारा नहीं होगा। मेरी बेटियां फिर से अपने गौरव को पहचानेंगी और मान-सम्मान पा सकेंगी। मेरे नन्हे बच्चे अपने मजबूत हाथों से मेरे गौरवपूर्ण अतीत को भविष्य में बदलेंगे जैसी कि पहले मेरी ख्याति थी, वह मैं फिर से पा सकूंगी। पर ये क्या.... मैं ये क्या देख रही हूं! ये मेरे नौनिहाल जिनके दम पर मैंने अपने मजबूत भविष्य के सपने संजोए हैं, इन्हें कुछ इस तरह समझाया गया है कि ये अपने